टेस्ला के शेयरों में बीते दो दिनों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. टेस्ला का शेयर दो दिनों में अपने रिकॉर्ड हाई 488.54 डॉलर था. से 13.81 फीसदी तक टूट चुका है जो 18 दिसंबर को बना था. शुक्रवार को कंपनी का शेयर 421.06 डॉलर पर बंद हुआ. इसका मतलब है कि कंपनी का शेयर रिकॉर्ड हाई से 67.48 डॉलर पर आ चुके हैं.
एलन मस्क दौलत की जिस रफ्तार पर दौड़ रहे थे. अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व ने उसकी ऐसी लगाम खींची कि झटके में मस्क मूंह के बल आकर ही नहीं गिरे बल्कि मोटा नुकसान भी हो गया. जी हां, फेड ने भले ही 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर थोड़ी राहत जरूर दी हो, लेकिन अगले साल के लिए संकेत जरूर दे दिए हैं कि पार्टी खत्म हो गई है. साल 2025 में सिर्फ दो संभावति कटौती होगी. जिसका पहले 4 कटौती का अनुमान था. इसका मतलब है कि ब्याज दरों में कटौती कम होगी. यही वजह है कि शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली और सबसे ज्यादा टेस्ला 13 फीसदी तक डूब गया.
विदेशी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार टेस्ला के शेयरों में गिरावट की बड़ी वजह साल 2025 में ब्याज दरों में कटौती कम होना है. ब्याज दरों में कटौती कम होगी तो बैंकों से लोन महंगा मिलेगा. फेड के फैसले से एक तरह से उनका प्लान फेल होता हुआ नजर आया जो उन्होंने साल 2025 के लिए टेस्ला की सेल्स में इजाफा करने के लिए बनाया था.जिसकी वजह से टेस्ला कार सेल्स को नुकसान हो सकता है. यही वजह से टेस्ला के शेयर डाउन हुए और मस्क की नेटवर्थ से दो दिनों में 42 अरब डॉलर का नुकसान हो गया. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर टेस्ला के शेयर और एलन मस्क की दौलत को लेकर किस तरह के आंकड़े सामने आए हैं.
टेस्ला के शेयरों में गिरावट
टेस्ला के शेयरों में बीते दो दिनों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. टेस्ला का शेयर दो दिनों में अपने रिकॉर्ड हाई 488.54 डॉलर था. से 13.81 फीसदी तक टूट चुका है जो 18 दिसंबर को बना था. शुक्रवार को कंपनी का शेयर 421.06 डॉलर पर बंद हुआ. इसका मतलब है कि कंपनी का शेयर रिकॉर्ड हाई से 67.48 डॉलर पर आ चुके हैं. खास बात तो ये है कि इस गिरावट की वजह से कंपनी के मार्केट कैप को 211 बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है. 18 दिसंबर को जब टेस्ला का शेयर रिकॉर्ड हाई पर था तो कंपनी मार्केट कैप 1.53 ट्रिलियन डॉलर था, जो शुक्रवार को शेयर बाजार बंद होने के बाद 1.32 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया. इसका मतलब है कि टेस्ला के मार्केट कैप को दो दिनों में मोटा नुकसान हो चुका है.
मस्क की नेटवर्थ डूबी
वहीं दूसरी ओा दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क की दौलत को भी काफी नुकसान हुआ है. मस्क के पास टेस्ला की 13 फीसदी से ज्यादा होल्डिंग हैं. ऐसे में शेयर में गिरावट का असर उनकी नेटवर्थ में दिखना लाजिमी है. ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के अनुसार 18 दिसंबर को एलन मस्क की नेटवर्थ 486 अरब डॉलर पपर पहुंच गई. 19 दिसंबर को उनकी दौलत में 31 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. उसके बाद 20 दिसंबर को उनकी नेटवर्थ में 10.8 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली है कि दोनों में 42 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली है. जिसके बाद उनकी कुल नेटवर्थ 444 अरब डॉलर पर आ गई है. आने वाले दिनों में एलन मस्क की दौलत में इजाफा देखने को मिल सकता है.
अंबानी और अडानी भी डूबे
अगर बात शुक्रवार की करें तो अंबानी और अडानी की नेटवर्थ में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है. दोनों की कुल दौलत में से कंबाइंडली 4.15 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली है. आंकड़ों के अनुसार मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 1.90 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली है और कुल दौलत 90.7 अरब डॉलर रह गई है. वहीं दूसरी ओर गौतम अडानी की कुल नेटवर्थ में से 2.53 अरब डॉलर कम हो गई है. जिसके बाद उनकी कुल दौलत 74.7 अरब डॉलर रह गई है.
अयोध्या ने तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड, ताज नगरी को पीछे छोड़ बना नंबर 1
जब से राम मंदिर का निर्माण हुआ है, तब से देश में अयोध्या जाने वाले लोगों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है. साल 2024 में अब इसके सारे रिकॉर्ड ताेड़ दिए हैं. रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 में ताजनगरी को पीछे छोड़ते हुए अयोध्या यूपी का टॉप डेस्टिनेशन बन गया है.
भले ही ताज महल दुनिया के 7 अजूबों में से एक हो, लेकिन साल 2024 में अयोध्या ने सारे रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए हैं. टूरिज्म के मामले में यूपी के अंदर अयोध्या ने ताज महल को पीछे छोड़ते हुए नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है. साल 2024 में अयोध्या में आने वाले टूरिस्ट आने वालों की संख्या ताज महल से ज्यादा देखने को मिली. जिसका प्रमुख कारण राम मंदिर को माना जा रहा है. वैसे यूपी ने जनवरी और सितंबर 2024 के बीच उल्लेखनीय 476.1 मिलियन पर्यटकों को आकर्षित करके नए पर्यटन रिकॉर्ड स्थापित किए हैं.
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के हवाले से जानकारी दी गई है कि इस अवधि के दौरान अयोध्या ने 135.5 मिलियन घरेलू पर्यटकों और 3,153 अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित किया. राम मंदिर का उद्घाटन काफी हद तक इस उछाल के पीछे प्रेरक शक्ति रहा है. इसकी तुलना में, आगरा में 125.1 मिलियन पर्यटक आए, जिनमें 115.9 मिलियन घरेलू यात्री और 924,000 अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक शामिल थे.
अयोध्या: आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने राज्य के उल्लेखनीय प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश ने पिछले साल 480 मिलियन पर्यटकों का स्वागत किया था, जो एक मील का पत्थर है जो इस साल यह आंकड़ा केवल 9 महीनों में पहुंच गया है. उद्योग विशेषज्ञ इस उछाल का श्रेय धार्मिक पर्यटन की बढ़ती लोकप्रियता को देते हैं. लखनऊ स्थित एक सीनियर ट्रैवन प्लानर मोहन शर्मा ने अयोध्या को “भारत में आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र” बताया, धार्मिक पर्यटन के लिए बुकिंग में 70 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.
अन्य आध्यात्मिक स्थलों में भी पर्याप्त वृद्धि देखी गई है. वाराणसी में 62 मिलियन घरेलू पर्यटक और 184,000 अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आए, जबकि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में 68 मिलियन आगंतुक आए, जिनमें 87,229 विदेशी शामिल थे. कुंभ मेले के लिए प्रसिद्ध प्रयागराज में 48 मिलियन पर्यटक आए और यहां तक कि मिर्जापुर में 11.8 मिलियन पर्यटक आए.
विदेशी पर्यटकों के बीच ताजमहल अव्वल
जहां अयोध्या की आध्यात्मिक अपील ने घरेलू पर्यटकों का ध्यान खींचा है, वहीं ताज महल इंटरनेशनल टूरिस्ट के बीच पसंदीदा बना हुआ है. आगरा में विदेशी आगमन 2022-23 में 2.684 मिलियन से थोड़ा बढ़कर 2023-24 में 27.70 मिलियन हो गया, हालांकि घरेलू पर्यटकों की संख्या में 193,000 की गिरावट आई. आगरा स्थित टूर ऑपरेटर अरविंद मेहता ने मनीकंट्रोल के हवाले से कहा कि विदेशी पर्यटक अभी भी ताज महल को एक अविस्मरणीय प्रतीक के रूप में देखते हैं. लेकिन घरेलू यात्री तेजी से अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज में आध्यात्मिक अनुभवों की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
राज्य के बौद्ध सर्किट, जो कि कुशीनगर में केन्द्रित है, में भी आगंतुकों की संख्या में वृद्धि देखी गई, जिसमें 153,000 अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों सहित 1.62 मिलियन आगंतुक आए. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों ने रिकॉर्ड भीड़ खींची है, जनवरी में इसकी वर्षगांठ के करीब आने के साथ इसमें और वृद्धि होने की उम्मीद है.
मुकेश अंबानी बेचने जा रहे हैं अपनी यह कंपनी, 28 महीने पहले ही हुई थी डील
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने सोमवार को कहा कि वह अपनी यूनिट आरईसी सोलर नॉर्वे एएस को लगभग 2.2 करोड़ डॉलर में एल्केम एएसए को बेचने जा रही है. आरईसी नॉर्वे, रिलायंस के नियंत्रण वाली आरईसी सोलर होल्डिंग्स की पूर्ण स्वामित्व वाली यूनिट है.
जहां एक ओर रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने सबसे बेहतरीन दौर से गुजर रही है और कंपनी का शेयर रिकॉर्ड लेवल पर है. वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपने एक कंपनी को बेचने की डील फाइनल कर डाली है. खास बात तो ये है कि जिस कंपनी को मुकेश अंबानी बेच रहे हैं, उन्होंने 28 महीने पहले अक्टूबर 2021 में खरीदी थी. ताज्जुब की बात तो ये है कि उस समय उन्होंने इस यूनिट को 771 मिलियन डॉलर में खरीदा था. जबकि जब इस कंपनी को बेचने की बात आई है तो सिर्फ 221 मिलियन डॉलर में बेच रहे हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मुकेश अंबानी इस कंपनी को किस बेच रहे हैं.
बिक रही है अंबानी की ये कंपनी
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने सोमवार को कहा कि वह अपनी यूनिट आरईसी सोलर नॉर्वे एएस को लगभग 2.2 करोड़ डॉलर में एल्केम एएसए को बेचने जा रही है. आरईसी नॉर्वे, रिलायंस के नियंत्रण वाली आरईसी सोलर होल्डिंग्स की पूर्ण स्वामित्व वाली यूनिट है. यह नॉर्वे में पॉलीसिलिकॉन का निर्माण करती है. रिलायंस की एक इकाई ने अक्टूबर, 2021 में 77.1 करोड़ डॉलर के प्राइस पर इस सौलर पैनल मेकर का अधिग्रहण किया था.
शेयर बाजार को दी जानकारी
रिलायंस ने शेयर बाजार को यह कंपनी बेचने की सूचना दी है. कंपनी ने कहा कि आरआईएल की पूर्ण-स्वामित्व वाली अनुषंगी आरईसी सोलर होल्डिंग्स एएस ने सूचित किया है कि उसने 14 जनवरी, 2024 को अपने 100 प्रतिशत शेयरों की बिक्री के लिए एल्केम एएसए के साथ 2.2 करोड़ डॉलर का एक शेयर खरीद समझौता किया है. आरआईएल ने कहा कि यह लेनदेन कुछ नियामकीय एवं अन्य शर्तों के अधीन है और इस डील के अप्रैल, 2024 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.
रिलायंस के शेयरों में तेजी
वहीं दूसरी ओर सोमवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेजी देखने को मिली है. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार कंपनी के शेयर सोमवार को 1.73 फीसदी तेजी के साथ 2787.50 रुपए पर बंद हुआ. जबकि कारोबारी सत्र में कंपनी का शेयर 2792.65 रुपए के रिकॉर्ड हाई पर भी पहुंच गया. अगर बात कंपनी के मार्केट कैप की करें तो 32 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला था. जिसके बाद कंपनी का मार्केट कैप 18,85,934.52 करोड़ रुपए पर आ गया.
इतिहास बना रहे टाटा और अंबानी, झटके में 8851 करोड़ गंवा बैठे अडानी
सोमवार को अडानी ग्रुप को 9 कंपनियों से 8851 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. इसके विपरीत टीसीएस के शेयरों में इजाफा देखने को मिला है. वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए हैं. खास बात तो ये है देश की सबसे बड़ी कंपनी की वैल्यूएशन 19 लाख करोड़ रुपए के करीब पहुंच गई थी.
शेयर बाजार रिकॉर्ड बना रहा है और रतन टाटा की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज इतिहास बना रही हैं. वहीं दूसरी ओर गौतम अडानी की कंपनियां शेयर बाजार में धराशाई होती दिखाई दी. अडानी ग्रुप को 9 कंपनियों से 8851 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. इसके विपरीत टीसीएस के शेयरों में इजाफा देखने को मिला है. वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए हैं. खास बात तो ये है देश की सबसे बड़ी कंपनी की वैल्यूएशन 19 लाख करोड़ रुपए के करीब पहुंच गई थी. अगर रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में कल भी तेजी जारी रही तो कंपनी का मार्केट कैप 19 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच जाएगा, जोकि देश की पहली ऐसी कंपनी होगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस के शेयर किस लेवल पर बंद हुए और अडानी ग्रुप की कौन सी कंपनी को कितना नुकसान हुआ.
दाल, सब्जियों ने दिया आम लोगों को झटका, रिटेल के बाद थोक महंगाई में इजाफा
थोक मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 0.73 फीसदी हो गई है. खाद्य पदार्थों, खासकर सब्जियों तथा दालों की कीमतों में तेज उछाल से इसमें बढ़ोतरी हुई. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई अप्रैल से अक्टूबर तक लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी. नवंबर में यह आंकड़ा 0.26 फीसदी था.
रिटेल के बाद अब थोक महंगाई ने सरकार और आम लोगों को चिंदा में डाल दिया है. दिसंबर के महीने में थोक महंगाई 0.73 फीसदी पर आ गई है. यह लगातार दूसरा महीना है जब थोक महंगाई जीरो से ऊपर हैं. उससे पहले अप्रैल से अक्टूबर के बीच थोक महंगाई के आंकड़ें जीरो से नीचे थे माइनस में देखने को मिल रहे थे. जानकारों की मानें थोक महंगाई में इजाफा फूड प्रोडक्ट्स खासकर दालों और सब्जियों की कीमतों में इजाफा होने के कारण बढ़ी है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार ने थोक महंगाई के आंकड़ें किस तरह के देखने को मिल रहे हैं.
क्यों हुआ थोक महंगाई में इजाफा
थोक मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 0.73 फीसदी हो गई है. खाद्य पदार्थों, खासकर सब्जियों तथा दालों की कीमतों में तेज उछाल से इसमें बढ़ोतरी हुई. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई अप्रैल से अक्टूबर तक लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी. नवंबर में यह आंकड़ा 0.26 फीसदी था. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी एक बयान के अनुसार वस्तुओं, मशीनरी तथा कंपोनेंट्स, मैन्युफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्टेशन, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक तथा ऑप्टिकल प्रोडक्ट्स आदि की कीमतों में वृद्धि दिसंबर 2023 में थोक महंगाई में बढ़ोतरी का कारण रही.
कितनी रहा फूड इंफ्लेशन
खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 9.38 फीसदी रही, जो नवंबर में 8.18 फीसदी थी. दिसंबर में सब्जियों की महंगाई दर 26.30 फीसदी, जबकि दालों की महंगाई दर 19.60 फीसदी थी. पिछले सप्ताह जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर के लिए खुदरा या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीने के उच्चतम 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गई. भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति में ब्याज दरों को स्थिर रखा था. साथ ही नवंबर और दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने के जोखिमों को चिह्नित किया था.
बजट से पहले सरकार उठाएगी बड़ा कदम, महंगाई रोकने का बनाया ये प्लान
दिसंबर के महंगाई के आंकड़ें सामने आ गए हैं. सरकार के सामने महंगाई को कम करने की सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में सरकार की ओर से इसे कम करने का फुलप्रूफ प्लान बना लिया है. आइए आपको भी बताते हैं आखिर सरकार की ओर से किस तरह का प्लान बनाया गया है.
देश का बजट आने में अभी भी दो हफ्ते बाकी है, लेकिन देश में जिस तरह से महंगाई के आंकड़ें देखने को मिले हैं, उससे सरकार भी काफी चिंता में आ गई है. अब सरकार ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए प्लान बना लिया है. वास्तव में भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई जनवरी में तीन सरकारी एजेंसियों को 300,000 टन गेहूं आवंटित करने जा रहा है. जो महंगााई कंट्रोल करने में मदद करेगा. इस गेहूं को आटे में बदला जाएगा और भारत आटा ब्रांड के तहत रियायती दर पर कंज्यूमर्स को बेचा जाएगा. मौजूदा समय में रिटेल लेवल पर सरकार के हस्तक्षेप के बावजूद आटा (गेहूं का आटा) की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं.
4 महीने के हाई पर महंगाई
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, आटे की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत बढ़कर 36.5 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है. खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण दिसंबर में भारत की खुदरा महंगाई बढ़कर 4 महीने के उच्चतम स्तर 5.69 फीसदी पर पहुंच गई. केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि सरकार का लक्ष्य उन क्षेत्रों में कीमतें कम करना है जहां दरें औसत से अधिक हैं. इसके अलावा, सरकार फूड इंफ्लेशन से निपटने के लिए मार्च तक आटा बेचना जारी रखेगी. हालांकि, यह कीमतों और आवश्यकताओं पर निर्भर करेगा.
3 लाख टन गेहूं का होगा आवंटन
संजीव चोपड़ा ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि दिसंबर में, तीन एजेंसियों- NAFED (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड), NCCF (नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) और केंद्रीय भंडार के माध्यम से लगभग 100,000 टन गेहूं आटे के रूप में बेचा गया था. हम जनवरी में इन तीन एजेंसियों के माध्यम से कंज्यूमर्स को आटे के रूप में लगभग 300,000 टन अधिक गेहूं उतारने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, हम उम्मीद कर रहे हैं कि दिसंबर और जनवरी में लगभग 400,000 टन गेहूं भारत आटे के रूप में उपभोक्ताओं को भेजा जाएगा.
मार्च तक मिल सकता है सस्ता आटा
यदि कीमतें अभी भी ऊंची बनी रहती हैं, तो सरकार आवश्यकता के आधार पर इस योजना को जनवरी से आगे फरवरी-मार्च तक जारी रखेगी. एफसीआई के माध्यम से खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने अब तक NAFED, NCCF और केन्द्रीय भंडार को 390,000 टन गेहूं आवंटित किया है, इन एजेंसियों ने मिलिंग और प्रोसेसिंग के बाद कंज्यूमर्स को 116,617 टन आटा बेचा है. वर्तमान में, एफसीआई के बफर स्टॉक में 15.9 मिलियन टन गेहूं है, जो 1 जनवरी के 13.8 मिलियन टन के बफर स्टैंडर्ड से ज्यादा है.
दिवाली से पहले आया था भारत ब्रांड आटा
दिवाली से पहले, केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से देश भर में ‘भारत’ ब्रांड के तहत 27.5 रुपए प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर आटे की सेल शुरू की थी. इसका उद्देश्य फूड इंफ्लेशन पर पर काबू पाना था. योजना के तहत सहकारी समितियों NAFED, NCCF और केन्द्रीय भंडार को FCI से 21.5 रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर 230,000 टन गेहूं आवंटित किया गया था. ये तीन एजेंसियां गेहूं को आटा में परिवर्तित करती हैं और इसे 800 मोबाइल वैन और 2,000 रिटेल प्वाइंट्स और दुकानों के माध्यम से भारत आटा ब्रांड के तहत कंज्यूमर्स को बेचती हैं.
GST Council Meeting: नहीं सस्ता होगा हेल्थ इंश्योरेंस, टैक्स कम करने का फैसला टला
स्वास्थ्य बीमा कवर के लिए वरिष्ठ नागरिकों द्वारा दिए गए प्रीमियम को भी कर से छूट देने का प्रस्ताव किया गया है. वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों के पांच लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने का भी प्रस्ताव है.
GST Council Meeting: जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक जैसलमेर में आयोजित की गई, इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में कई राज्यों के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री इस मीटिंग में शामिल हुए. जीएसटी काउंसिल की ये बैठक इस वजह से खास मानी जा रही थी कि इसमें सरकार टर्म लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस और सीनियर सिटीजन के हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर GST की दरों में छूट दे सकती थी, लेकिन जीएसटी काउंसिल की इस मीटिंग में फिलहाल इस मुद्दे को टाल दिया गया है.
मंत्री समूह में नहीं बनी आम सहमी
जीएसटी परिषद ने शनिवार को जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर कर की दर घटाने का फैसला टाल दिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में तय हुआ कि इस संबंध में कुछ और तकनीकी पहलुओं को दूर करने की जरूरत है. इस बारे में आगे विचार-विमर्श के लिए जीओएम को काम सौंपा गया.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता और राज्यों के उनके समकक्षों की मौजूदगी वाली परिषद ने यह फैसला किया. बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि समूह, व्यक्तिगत, वरिष्ठ नागरिकों की पॉलिसियों पर कराधान के बारे में फैसला करने के लिए बीमा पर जीओएम की एक और बैठक होगी.
जनवरी में दोबारा होगी इसपर चर्चा
चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ”कुछ सदस्यों ने कहा कि और चर्चा की जरूरत है. हम (जीओएम) जनवरी में फिर मिलेंगे.” परिषद ने चौधरी की अध्यक्षता में बीमा पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन किया है, जिसने नवंबर में अपनी बैठक में सावधि जीवन बीमा पॉलिसियों के बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने पर सहमति जताई थी.
साथ ही स्वास्थ्य बीमा कवर के लिए वरिष्ठ नागरिकों द्वारा दिए गए प्रीमियम को भी कर से छूट देने का प्रस्ताव किया गया है. वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों के पांच लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने का भी प्रस्ताव है. हालांकि, पांच लाख रुपये से अधिक के स्वास्थ्य बीमा कवर वाली पॉलिसी के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी जारी रहेगा.
पॉपकॉर्न से लेकर यूज्ड कार तक… मीडिल क्लास पर फिर पड़ी GST की मार
जैसलमेर में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक शुरू हो गई है. इस बैठक में कई फैसले लिए जा सकते हैं. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही हैं. चलिए यह समझते हैं कि इस मीटिंग में कौन-कौन से फैसले लिए जा रहे हैं.
जैसलमेर में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक शुरू हो गई है. इस बैठक में कई फैसले लिए जा सकते हैं. बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑटोक्लेव्ड एरेटेड कंक्रीट (AAC) ब्लॉक्स, जिनमें 50% से अधिक फ्लाई ऐश होता है, उन्हें HS कोड 6815 के तहत रखा गया है. इस बदलाव के बाद, इन ब्लॉक्स पर 18% की बजाय 12% जीएसटी लगाया जाएगा.
पॉपकॉर्न खाना हुआ महंगा
फोर्टिफाइड चावल के टैक्स स्ट्रक्चर को सरल करते हुए, काउंसिल ने इस पर 5% जीएसटी लगाने का निर्णय लिया है, चाहे इसका उपयोग किसी भी उद्देश्य के लिए हो. वहीं, रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर भी टैक्स दरों को लेकर पूरी डिटेल सामने आ गई है. साधारण नमक और मसालों से तैयार पॉपकॉर्न, अगर पैकेज्ड और लेबल्ड नहीं है, तो 5% जीएसटी लगेगा. वहीं पैकेज्ड और लेबल्ड होने पर यह दर 12% होगी. जबकि चीनी जैसे कारमेल से तैयार पॉपकॉर्न को “चीनी कन्फेक्शनरी” की कैटेगरी में रखा गया है और इस पर 18% जीएसटी लगेगा.
पुरानी गाड़ियों पर जीएसटी दर में बढ़ोतरी
पुरानी और इस्तेमाल की गई गाड़ियों, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल हैं, की बिक्री पर जीएसटी दर 12% से बढ़ाकर 18% कर दी गई है. बीमा मामलों पर निर्णय को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इस मुद्दे पर मंत्रियों के समूह (GoM) की बैठक में सहमति नहीं बन पाई थी, इसलिए इसे आगे की जांच के लिए भेजा गया है.
बता दें कि काउंसिल 148 वस्तुओं पर लग रहे टैक्स दरों पर वापस से विचार कर रहा है. उसमें लग्जरी वस्तुओं जैसे घड़ियों, पेन, जूते और परिधान पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव भी शामिल है. इसके अलावा, सिन गुड्स के लिए अलग 35% टैक्स स्लैब की शुरुआत पर चर्चा हो सकती है. फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स जैसे स्विगी और ज़ोमैटो पर टैक्स दर को 18% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव भी रखा गया है.
किसानों की बल्ले बल्ले, मोदी सरकार से मिला तोहफा… इस फसल पर बढ़ी MSP
केंद्र सरकार ने कोप्रा (नारियल का गूदा) की MSP में 422 रुपये की बढ़ोतरी कर दी है. अब कोप्रा की MSP 12,100 रुपये प्रति क्विंटल होगी. इसके लिए 855 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. यह डिसिजन PM नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लिया गया.
केंद्र सरकार ने कोप्रा (नारियल का गूदा) की MSP में 422 रुपये की बढ़ोतरी कर दी है. अब कोप्रा की MSP 12,100 रुपये प्रति क्विंटल होगी. इसके लिए 855 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. यह डिसिजन PM नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लिया गया. सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि साल 2025 के लिए ‘मिलिंग कोप्रा’ की MSP में 422 रुपये की बढ़ोतरी कर 11,582 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है. वहीं, ‘बॉल कोप्रा’ की MSP में 100 रुपये की बढ़ोतरी कर 12,100 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है.
इतना मिलेगा MSP
यह समर्थन मूल्य कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर तय किया गया है. उन्होंने बताया कि MSP को उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक निर्धारित किया गया है. इससे कुल वित्तीय भार 855 करोड़ रुपये आएगा. कोप्रा और छिले नारियल की खरीद के लिए राष्ट्रीय सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) को केंद्रीय नोडल एजेंसियों के रूप में चुना गया है.
इतना होता है उत्पादन
कर्नाटक कोप्रा का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. इसका कुल उत्पादन का 32.7 प्रतिशत हिस्सा रखता है. इसके बाद तमिलनाडु (25.7 प्रतिशत), केरल (25.4 प्रतिशत) और आंध्र प्रदेश (7.7 प्रतिशत) का स्थान आता है. इसके अलावा, महाराष्ट्र में भी कोप्रा का उत्पादन होता है.
नारियल की खेती पश्चिम बंगाल, ओडिशा, दमन-दीव और गुजरात में भी छोटी मात्रा में की जाती है. बढ़ी हुई MSP न केवल नारियल उत्पादों को बेहतर लाभ सुनिश्चित करेगी, बल्कि किसानों को कोप्रा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी
Budget 2025: जैसलमेर में प्री-बजट बैठक में वित्त मंत्री समेत ये लोग शामिल, इन मुद्दों पर हुई चर्चा
निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों (यूटी) के साथ महत्वपूर्ण प्री-बजट बैठक की अध्यक्षता की है. यह बैठक राजस्थान के शहर जैसलमेर में आयोजित की गई है. इसका उद्देश्य अलग-अलग राज्यों और यूटी से सुझाव और इनपुट प्राप्त करना था.
केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों (यूटी) के साथ महत्वपूर्ण प्री-बजट बैठक की अध्यक्षता की है. यह बैठक राजस्थान के शहर जैसलमेर में आयोजित की गई है. इसका उद्देश्य अलग-अलग राज्यों और यूटी से सुझाव और इनपुट प्राप्त करना था. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी इस बैठक में उपस्थित रहे.
पंकज चौधरी ने केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग पर जोर दिया है. साथ ही यह सुनिश्चित करने की बात की कि केंद्रीय बजट समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया जाए. बैठक में गोवा, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, मेघालय और ओडिशा के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे. इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना के उपमुख्यमंत्रियों ने भी चर्चा में भाग लिया. राज्यों और यूटी के वित्त मंत्रियों ने भी इस बैठक में अपने सुझाव प्रस्तुत किए.
क्या Bajaj Housing Finance की राह चला MobiKwik, बंपर लिस्टिंग के बाद क्यों धड़ाम हुए शेयर
One MobiKwik Systems के शेयर शुक्रवार को 5.7% तक गिरकर 510.30 रुपये पर आ गए. यह गिरावट निवेशकों द्वारा मुनाफा वसूलने के कारण आई है. ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी के शेयरों ने पिछले दो दिनों में 37% की जबरदस्त बढ़त ली थी. MobiKwik हाल ही में स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुआ था.
One MobiKwik Systems के शेयर शुक्रवार को 5.7% तक गिरकर 510.30 रुपये पर आ गए. यह गिरावट निवेशकों द्वारा मुनाफा वसूलने के कारण आई है. ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी के शेयरों ने पिछले दो दिनों में 37% की जबरदस्त बढ़त ली थी. MobiKwik हाल ही में स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुआ था. बुधवार को अपने इश्यू प्राइस 279 रुपये से 58.5% प्रीमियम पर लिस्ट हुआ था. इससे पहले ही 2 दिनों में 117% का रिटर्न दे दिया था. गुरुवार को इसके शेयर 605 रुपये तक पहुंचे थे. हालांकि शुक्रवार को वे नीचे आ गए.
इतना गुना हुआ था सब्सक्राइब
फिनटेक कंपनी का आईपीओ 572 करोड़ रुपये का था. यह 119 गुना सब्सक्राइब हुआ था. इससे निवेशकों का विश्वास बना था. इसका कारण कंपनी के मुनाफे में हाल ही में हुई बढ़ोतरी और डिजिटल पेमेंट्स के बढ़ते क्षेत्र में उम्मीदें थीं. कंपनी ने जो फंड्स जुटाए हैं उससे पेमेंट सर्विसेज को बढ़ाने, एआई और मशीन लर्निंग में निवेश करना है. साथ ही पेमेंट डिवाइस इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा.
स्टॉप लॉस लगाना चाहिए
विशेषज्ञ का मानना है कि कंपनी का मुनाफा अच्छा है. डिजिटल पेमेंट्स की बढ़ती मांग से विश्वास बना है. इस रफ्तार को बनाए रखना उसके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. निवेशकों को इन हाई लिस्टिंग गेन को देखते हुए मुनाफा वसूलना चाहिए. अगर कोई शेयर रखना चाहता है तो उसे 400 रुपये के आस-पास स्टॉप लॉस लगाना चाहिए.
कंपनी का सार
साल 2008 में स्थापित MobiKwik एक ड्यूल-साइडेड पेमेंट्स प्लेटफॉर्म है. कंपनी के जून 2024 तक 161 मिलियन से ज्यादा यूजर्स और 4.26 मिलियन मर्चेंट्स को सर्विस देता है. कंपनी डिजिटल पेमेंट्स, क्रेडिट, और निवेश उत्पादों की सेवाएं प्रदान करती है. मई 2024 तक कंपनी की PPI वॉलेट सेगमेंट में 23.11% की मार्केट शेयर है. इससे यह भारत की सबसे बड़ी वॉलेट सेवा प्रदाता बन गई है.