Hurun India Report 2024 हुरुन इंडिया ने देश के टॉप आंत्रप्रेन्योर की लिस्ट शेयर की है। इस लिस्ट में सेल्फ-मेड आंत्रप्रेन्योर (Self-Made Entrepreneurs) में से 8 टेक सेक्टर से हैं। इन सभी आंत्रप्रेन्योर ने रिस्क के साथ खुद का स्टार्टअप शुरू किया है। आज के समय में इनकी कंपनी की वैल्यूएशन करोड़ों रुपये में है। आइए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं।
Hurun India Report 2024: खुद के दम पर शुरू किया स्टार्टअप, ये हैं टेक सेक्टर के Self-Made Entrepreneurs
Hurun India Report 2024 हुरुन इंडिया ने देश के टॉप आंत्रप्रेन्योर की लिस्ट शेयर की है। इस लिस्ट में सेल्फ-मेड आंत्रप्रेन्योर (Self-Made Entrepreneurs) में से 8 टेक सेक्टर से हैं। इन सभी आंत्रप्रेन्योर ने रिस्क के साथ खुद का स्टार्टअप शुरू किया है। आज के समय में इनकी कंपनी की वैल्यूएशन करोड़ों रुपये में है। आइए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं।
ड्रैगन की निकलेगी हवा, 6 साल में 20 लाख करोड़ की होगी EV इंडस्ट्री, बनेंगे 5 करोड़ नौकरियों के मौके
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि 2030 तक भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल का मार्केट साइज 20 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा और 5 करोड़ नौकरियां पैदा करेगा. इलेक्ट्रॉनिक वाहन के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं.
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बाजार का साइज 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है और इससे समूचे ईवी परिवेश में करीब पांच करोड़ नौकरियों के मौके पैदा होंगे. गडकरी ने ई-वाहन उद्योग की स्थिरता पर 8वें कैटलिस्ट कॉन्फ्रेंस- ईवी एक्सपो-2024 को संबोधित करते हुए कहा कि अनुमान है कि 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन के वित्तपोषण यानी फाइनेंस के बाजार का आकार करीब चार लाख करोड़ रुपये होगा.
बनेंगे 5 करोड़ नौकरियों के मौके
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार की क्षमता 2030 तक 20 लाख करोड़ रुपये होगी जिससे संपूर्ण ईवी परिवेश में पांच करोड़ नौकरियों का सृजन होगा. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि भारत में 40 प्रतिशत वायु प्रदूषण के लिए परिवहन क्षेत्र जिम्मेदार है.
सरकार का ग्रीन एनर्जी पर फोकस
गडकरी ने कहा, हम 22 लाख करोड़ रुपये मूल्य के जीवाश्म ईंधन का आयात करते हैं, जो एक बड़ी आर्थिक चुनौती है. जीवाश्म ईंधन का यह आयात हमारे देश में कई समस्याएं उत्पन्न कर रहा है. सरकार हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि भारत की 44 प्रतिशत बिजली की खपत सौर ऊर्जा पर आधारित है. हम जल विद्युत उसके बाद सौर ऊर्जा, हरित ऊर्जा खासकर बायोमास के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं. अब सौर ऊर्जा हम सभी के लिए महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है.
और इलेक्ट्रिक बसों की जरुरत
गडकरी ने देश में इलेक्ट्रिक बसों की समस्या पर भी प्रकाश डाला. हमारे देश को एक लाख इलेक्ट्रिक बसों की जरूरत है लेकिन अभी हमारे पास केवल 50 हजार बस हैं. मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि यही आपके लिए अपने कारखाने का विस्तार करने का सही समय है. गडकरी ने इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं से गुणवत्ता के साथ समझौता न करने की बात भी कही.
जापान को छोड़ा पीछे अब चीन की बारी
उन्होंने कहा कि 2014 में जब उन्होंने परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला था तब मोटर वाहन उद्योग का आकार सात लाख करोड़ रुपये था. मंत्री ने कहा, आज यह (मोटर वाहन उद्योग का आकार) 22 लाख करोड़ रुपये है. हम दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं. हमने हाल ही में जापान को पीछे छोड़ा है. इस सूची में 78 लाख करोड़ रुपये के मोटर वाहन उद्योग के साथ अमेरिका पहले स्थान पर और चीन 47 लाख करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर है.
शादी में खर्च किया बेहिसाब पैसा, अब काटो इनकम टैक्स के चक्कर; रडार पर बिग फैट इंडियन वेडिंग
Lavish Wedding Under IT Scanner: नवंबर-दिसंबर के दौरान में देश के अलग-अलग शहरों में जो ग्रेट ग्रैंड वेडिंग हुई हैं, और जिन शादियों में करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं वो अब इनकम टैक्स विभाग के रडार पर आ गए हैं. ये वो शादियां जिनमे बालीवुड स्टार्स और सेलिब्रिटीज को भी इंवाइट किया गया था.
Lavish Wedding Under IT Scanner: साल 2024 का शादियों का सीजन वैसे तो खत्म हो चुका है लेकिन शादीशुदा कपल्स का सरदर्द खत्म होता नहीं नजर आ रहा है. शादी के बाद अक्सर कपल हनीमून के लिए जाते हैं लेकिन इस साल लगता है उन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के चक्कर काटने पड़ सकते हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इनकम टैक्स की रडार पर ऐसे लोग हैं जिन्होंने शादी में बेहिसाब खर्चा किया है लेकिन उन पैसों का कोई हिसाब नहीं है. यानी बिग फैट इंडियन वेडिंग जिनमे कैश में ज्यादा खर्च हुआ वो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच के घेरे में हैं.
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर-दिसंबर के दौरान में देश के अलग-अलग शहरों में जो ग्रेट ग्रैंड वेडिंग हुई हैं, और जिन शादियों में करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं वो अब इनकम टैक्स विभाग के रडार पर आ गए हैं. ये वो शादियां जिनमे बालीवुड स्टार्स और सेलिब्रिटीज को भी इंवाइट किया गया था.
शादियों में 7500 करोड़ रुपए का कोई हिसाब नहीं
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, जयपुर के 20 वेडिंग प्लानर्स के ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग ने रेड मारी है. इनकम टैक्स विभाग को शक है कि पिछले एक साल में इन ग्रैंड वेडिंग में 7500 करोड़ रुपए कैश में खर्च हुए हैं जिनका कोई हिसाब नहीं है. रिपोर्ट में बताया गया कि फेक बिल बनाने वाले संदिग्ध एंट्री ऑपरेटर्स, हवाला एजेंट्स, और म्यूल अकाउंट्स चलाने वाले हैदराबाद और बेंगलुरु में बैठे पार्टनर्स के साथ मिलकर ये धंधा करते हैं जो अमीरों के यहां होने वाले ग्रेट वेडिंग के आधार पर फल फूल रहा है.
इनपर भी रडार
अगर आपने भी डेस्टिनेशन वेडिंग की है तो बता दें डेस्टिनेशन वेडिंग भी इनकम टैक्स के रडार पर और विभाग ने कई जगह छापेमारी भी की है. इस छापेमारी के दौरान इनकम टैक्स विभाग कैश में किए गए लेन-देन का पता लगाएगी जिसमें 50 से 60 फीसदी शादी के खर्च की रकम कैश में की गई है. वहीं, वो शादियां भी निशाने पर हैं जिनमे बॉलीवुड स्टार्स को चार्टर्ड प्लेन से बुलवाकर परफॉर्म करवाया गया है.
शादियों के गेस्ट लिस्ट और इंवेट कितना बड़ा था इस स्केल के आधार पर इनकम टैक्स विभाग शादियों में किए गए खर्च का हिसाब किताब खंगालेगी. इस कड़ी में कैटरिंग फर्म्स से भी पूछताछ की जा रही है. इनकम टैक्स की अब तक की जांच में पता चला है कि जयपुर के वेडिंग प्लानर सरगना हैं और दूसरे शहरों के प्लानर इवेंट आयोजित करने के लिए उनसे संपर्क करते हैं.
तेजी से बढ़ रहा रियल एस्टेट सेक्टर, 2024 में 4.2 अरब डॉलर का हुआ प्राइवेट इन्वेस्टमेंट
देश का रियल एस्टेट सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है. साल 2024 में इस सेक्टर में 4.2 अरब डॉलर का प्राइवेट इंवेस्टमेंट आया है. नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, 2024 में आवासीय क्षेत्र में पीई निवेश दोगुना से अधिक होकर 1,17.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया.
भारतीय रियल एस्टेट में चालू कैलेंडर वर्ष 2024 में 4.15 अरब अमेरिकी डॉलर का निजी इक्विटी (पीई) निवेश हुआ, जो सालाना आधार पर 32 प्रतिशत अधिक है. आवास खंड में अधिक प्रवाह से यह निवेश बढ़ा है. रियल एस्टेट सलाहकार नाइट फ्रैंक इंडिया ने भारत में निजी इक्विटी निवेश के रुझान 2024 रिपोर्ट जारी की है.
नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2024 में भारतीय रियल एस्टेट में निजी इक्विटी निवेश 415.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार, 2024 में आवासीय क्षेत्र में पीई निवेश दोगुना से अधिक होकर 1,17.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया. यह इस क्षेत्र में निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है, जिसमें अंतिम उपयोगकर्ता मांग में लगातार वृद्धि देखी जा रही है.
रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट्स में निवेश डबल से ज्यादा हुआ
चालू कैलेंडर वर्ष में गोदाम परिसंपत्तियों को 187.7 करोड़ डॉलर का निवेश मिला, जबकि कार्यालय संपत्तियों को 109.8 करोड़ डॉलर प्राप्त हुए. नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, भारत में निवेश में वृद्धि देखी गई है, खासकर पिछले एक दशक में जो आर्थिक स्थिरता और निरंतर वृद्धि से प्रेरित है.
UAE से आया सबसे ज्यादा निवेश
भारतीय रियल एस्टेट में कुल पीई निवेश में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ मुंबई सबसे पसंदीदा स्थान है. वर्ष 2024 में किए गए कुल पीई निवेश में से संयुक्त अरब अमीरात से पूंजी प्रवाह सर्वाधिक 1.7 अरब अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है, जो भारत में निवेश का 42 प्रतिशत है. भारतीय निवेशकों ने 2024 में 1.3 अरब अमरीकी डॉलर का निवेश किया, जो भारतीय रियल एस्टेट में कुल पीई निवेश का 32 प्रतिशत है. सिंगापुर स्थित संस्थाओं एवं कोषों ने भारत में निजी इक्विटी में अनुमानतः 63.37 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश किया.
GST Council Meeting: टैक्स स्लैब से लेकर हेल्थ इंश्योरेंस तक पर हो सकता है बड़ा ऐलान, ऐसे मिलेगा आम लोगों को फायदा
GST Council Meeting: मंत्रियों के समूह (GoM) ने टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी माफ करने की सिफारिश की है. इससे लोगों को बीमा लेने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा. वरिष्ठ नागरिकों के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी छूट का प्रस्ताव भी रखा गया है.
GST Council Meeting: जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक के लिए राजस्थान का जैसलमेर आपने शाही पकवानों के साथ तैयार है. जीएसटी काउंसिल की ये बैठक जैसलमेर के होटल मैरियट में 20 और 21 दिसंबर को होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित अन्य राजनेताओं के लिए खास तौर पर बाजरे और रागी की डिश पर फोकस किया गया है. इसलिए यहां काजू की कतली और जैसलमेर के प्रसिद्ध घोटमा लड्डू को भी मिलेट्स से तैयार किया है.
जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक इसलिए भी खास है, क्योंकि इसमें कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं, जिसमें हेल्थ इंश्योरेंस, टैक्स स्लैब और 2025 के आम बजट पर सुझाव दिए जाएंगे, जिसके आधार पर देश का आम बजट तैयार किया जाएगा.
कौन-कौन शामिल होगा मीटिंग में
बैठक में दिल्ली की सीएम आतिशी, हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी, जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला, गोवा के सीएम प्रमोद सावंत, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन सहित कई नेता शामिल होंगे. इसके अलावा कई राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल होंगे.
टर्म लाइफ इंश्योरेंस पर GST छूट
मंत्रियों के समूह (GoM) ने टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर जीएसटी माफ करने की सिफारिश की है. इससे लोगों को बीमा लेने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा. वरिष्ठ नागरिकों के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी छूट का प्रस्ताव भी रखा गया है. इससे बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य बीमा और सुलभ हो सकेगा.
5 लाख रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस पर छूट
5 लाख रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी माफ करने की संभावना है. हालांकि, 5 लाख से अधिक कवर पर यह लागू नहीं होगा. यह बैठक हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस को बढ़ावा देने और बीमा योजनाओं को किफायती बनाने की दिशा में बड़ा कदम हो सकती है. साथ ही, ये प्रस्ताव भारत की कर प्रणाली को और सरल व समावेशी बनाने में मदद करेंगे.
टैक्स स्लैब में बदलाव पर चर्चा
बीते कई आम बजट से देश की जनता इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद लगाए बैठी है. ऐसे में आम बजट से पहले होने वाली जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव को लेकर भी चर्चा हो सकती है.
बिहार को मिला बंपर निवेश, Airtel समेत इन कंपनियों का बिछेगा जाल
भारती एयरटेल, डेटा सेंटर कंपनी CtrlS और पर्सनल कंप्यूटर निर्माता Holloware ने बिहार की नई IT नीति 2024 के तहत राज्य में निवेश करने के अपने प्रस्ताव दिए हैं. चेन्नई स्थित Holloware भी राज्य में IT हार्डवेयर निर्माण के लिए निवेश कर रहा है.
भारती एयरटेल, डेटा सेंटर कंपनी CtrlS और पर्सनल कंप्यूटर निर्माता Holloware ने बिहार की नई IT नीति 2024 के तहत राज्य में निवेश करने के अपने प्रस्ताव दिए हैं. बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 में बोलते हुए, IT सचिव अभय कुमार ने कहा कि राज्य की IT नीति 2024 में मिलने वाली प्रोत्साहन राशि अन्य राज्यों की नीतियों से सबसे बेहतर है. उन्होंने कहा कि राज्य को निवेशकों से शानदार प्रतिक्रिया मिली है.
ये कंपनियां करेंगी निवेश
चेन्नई स्थित Holloware भी राज्य में IT हार्डवेयर निर्माण के लिए निवेश कर रहा है. Holloware अपनी फैक्ट्री लगा रहा है जहां लैपटॉप और PCs बनाए जाएंगे. उनका 30 करोड़ रुपये का एक प्रस्ताव पहले ही मंजूर हो चुका है. आने वाले समय में वे 300 करोड़ रुपये का निवेश करने वाले हैं. पिछले साल TCS, HCL और Tiger Analytics के निवेश प्रस्ताव पहले ही राज्य को मिल चुके हैं.
सरकार की तरफ से मिल रही सहायता
IT सचिव अभय कुमार ने आगे बताया कि अगर आपने 100 करोड़ रुपये का निवेश किया है, तो बिहार से आपको लगभग 70 करोड़ रुपये तक की राशि वापस मिल सकती है. यह बहुत ही बड़ा है. किसी भी अन्य राज्य की IT नीति इस स्तर तक की प्रोत्साहन राशि नहीं दे सकती. बिहार IT नीति में किराये की फीस पर 50 फीसदी की छूट देने का प्रावधान है. यह छूट 5 साल तक दी जाएगी. हर साल प्रति महीने किराये की सीमा में 2.5 रुपये प्रति वर्ग फुट का इजाफा किया जाएगा.
बिहार के IT विभाग के विशेष सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने बताया कि नीति की घोषणा के बाद पिछले 11 महीनों में राज्य को 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं. इस निवेश से बिहार में बेहतर नौकरी के अवसर बनेंगे.
गिरते बाजार में भी रेखा झुनझुनवाला ने मारी बाजी, 1 दिन में कर डाली करोड़ों की कमाई
IKS का IPO 19 दिसंबर को शेयर मार्केट में डेब्यू कर चुका है. रेखा झुनझुनवाला इस कंपनी की प्रमोटर हैं. ऐसे में लिस्टिंग होने के साथ ही रेखा झुनझुनवाला फैमिली को 530 गुना का तगड़ा मुनाफा हुआ है. इसका भाव पहले ही दिन 46% तक चढ़ गया है.
स्टॉक मार्केट के बेताज बादशाह राकेश झुनझुनवाला की पत्नी रेखा झुनझुनवाला अपने पोर्टफोलियो को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती है. IKS का IPO 19 दिसंबर को शेयर मार्केट में डेब्यू कर चुका है. रेखा झुनझुनवाला इस कंपनी की प्रमोटर हैं. ऐसे में लिस्टिंग होने के साथ ही रेखा झुनझुनवाला फैमिली को 530 गुना का तगड़ा मुनाफा हुआ है. इसका भाव पहले ही दिन 46% तक चढ़ गया है. ऐसे में झुनझुनवाला के इस पोर्टफोलियो में भारी इजाफा हुआ है.
BSE और NSE पर शानदार एंट्री
हेल्थ टेक फर्म इन्वेंटर्स नॉलेज सॉल्यूशंस (IKS) के शेयर आज यानी गुरुवार को शेयर बाजार में लिस्ट हो गए है. इसके साथ ही कंपनी के शेयर BSE और NSE दोनों पर लिस्ट हो चुका है. आप जानकर हैरान रह जाएंगे की BSE पर शेयर 39.65 फीसदी की बढ़त के साथ 1,856 रुपये पर लिस्ट हुआ. इसके बाद यह 1,942.10 रुपये पर पहुंच गया था. वहीं बात अगर NSE की करें तो इसने 42.96 फीसदी के उछाल के साथ 1,900 रुपये पर शुरुआत की.
तगड़ा मुनाफा करा दिया
कंपनी का प्राइस बैंड 1329 रुपये था. लिस्टिंग के साथ ही इसने झुनझुनवाला को तगड़ा मुनाफा करा दिया. इससे उन्हें 530 गुना तक का मल्टीबैगर रिटर्न मिला. कंपनी के इश्यू 12 से 16 दिसंबर तक ओपन हुआ था. इससे कंपनी ने एंकर निवेशकों से 1,120 करोड़ रुपये जुटाए थे. 2,498 करोड़ रुपये के IPO के लिए प्राइस बैंड 1,265-1,329 रुपये प्रति शेयर था. कंपनी में रेखा झुनझुनवाला की 0.23% हिस्सेदारी है.
क्या करती है कंपनी?
साल 2006 में स्थापित इन्वेंचुरस नॉलेज सॉल्यूशन स्वास्थ्य सेवा कंपनियों को सहायता सेवाएं प्रदान करता है. प्रशासनिक कार्यों, नैदानिक सहायता, चिकित्सा दस्तावेज मैनेजमेंट और वर्चुअल मेडिकल स्क्राइबिंग जैसे क्षेत्रों में एक्सपरटीज रखता है.
नौकरी बदलने पर कैसे मिलेगी Income Tax में छूट, क्या पिछली नौकरी का डिक्लेरेशन करेगा काम?
नौकरी बदलने के दौरान सही कर योजना बनाना जरूरी है, ताकि दोहरी छूट का दावा करने से बचा जा सके. अक्सर कर्मचारी पुराने और नए नियोक्ता दोनों के माध्यम से एक ही निवेश पर छूट का दावा कर लेते हैं, जिससे अंततः अधिक कर देयता हो जाती है.
साल का नवंबर-दिसंबर का महीना इनकम टैक्स डिक्लेरेशन जमा करने का होता है, सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों से HR डिपार्टमेंट इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत किए गए निवेश की जानकारी मांगता है और इसी के हिसाब से आपके सालाना इनकम टैक्स की कैलकुलेशन होती है.
अगर आप सेम फाइनेंशियल ईयर में नौकरी बदलते हैं तो एक बड़ा सवाल उठता है, जो कि ये है कि पुरानी कंपनी में जमा किया गया इनकम टैक्स डिक्लेरेशन नई कंपनी में काम करेगा या नहीं? अगर आपका भी ऐसा ही सवाल है तो यहां हम इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
नौकरी बदलने पर करें ये काम
नौकरी बदलने के दौरान सही कर योजना बनाना जरूरी है, ताकि दोहरी छूट का दावा करने से बचा जा सके. अक्सर कर्मचारी पुराने और नए नियोक्ता दोनों के माध्यम से एक ही निवेश पर छूट का दावा कर लेते हैं, जिससे अंततः अधिक कर देयता हो जाती है.
उदाहरण के तौर पर, यदि आपने धारा 80C के तहत ₹1.25 लाख का निवेश किया है और अपने पुराने नियोक्ता से छूट का दावा किया है, तो आपको वही जानकारी नए नियोक्ता के साथ साझा करनी चाहिए. ऐसा न करने पर नए नियोक्ता भी आपकी छूट को दोबारा मान सकते हैं, जिससे आपका टीडीएस कम कटेगा.
IT डिक्लेरेशन देते समय ये ध्यान रखें
इस समस्या से बचने के लिए नए नियोक्ता को अपनी पुरानी नौकरी की आय और कटौती का सही विवरण दें. फॉर्म 12बी का उपयोग करें, जो पिछली नौकरी के टीडीएस और आय का लेखा-जोखा देता है.
ध्यान दें कि धारा 80C के तहत अधिकतम ₹1.5 लाख और धारा 80CCD (1बी) के तहत ₹50,000 तक की अतिरिक्त कटौती का ही दावा किया जा सकता है. नई और पुरानी कर व्यवस्था के लाभों को समझकर अपने लिए उपयुक्त विकल्प चुनें.
अंत में, अपने आयकर रिटर्न में सभी स्रोतों से अर्जित आय और कटौतियों को सही ढंग से रिपोर्ट करें. सही जानकारी देने और दोहरी छूट से बचने से न केवल आपका समय बचेगा बल्कि अतिरिक्त कर देयता से भी राहत मिलेगी.
LIC के पास 880 करोड़ की अनक्लेम्ड रकम, अब इन पैसों का क्या करेगी कंपनी?
LIC के पास जो 880.93 करोड़ रुपए पड़े हैं, वो FY 2023-24 में 3.72 लाख पॉलिसीधारकों के हैं, जिन्होंने इसके लिए अभी तक क्लेम नहीं किया है. अगर इस रकम के लिए 10 साल तक कोई दावा नहीं करता है तो फिर इसे वापस पाना काफी मुश्किल हो जाएगा.
भारतीय जीवन बीमा निगम ने फाइनेंशियल ईयर 2023-24 की अनक्लेम्ड रकम का चौकाने वाला आंकड़ा पेश किया है, जिसमें एलआईसी ने बताया है कि उसके पास FY 2023-24 के करीब 880.93 करोड़ रुपए मैच्योरिटी बेनिफिट के पड़े हैं.
इस आंकड़े के बाद सवाल किया जा रहा है कि आखिर इतना बड़ा अमाउंट किन लोगों का है और अगर कोई इसके लिए क्लेम नहीं करता है तो भारतीय जीवन बीमा निगम इस पैसे का क्या करेगा? अगर आपने अभी तक अपनी LIC की मैच्योरिटी रकम क्लेम नहीं की है तो उसे कैसे क्लेम कर सकता है, इसके बारे में हम आपको बता रहे हैं.
3.72 लाख पॉलिसीधारकों का है ये पैसा
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार LIC के पास जो 880.93 करोड़ रुपए पड़े हैं, वो FY 2023-24 में 3.72 लाख पॉलिसीधारकों के हैं, जिन्होंने इसके लिए अभी तक क्लेम नहीं किया है. आपको बता दें अगर इस रकम के लिए 10 साल तक कोई दावा नहीं करता है तो फिर इसे वापस पाना काफी मुश्किल हो जाएगा.
कैसे करें करें LIC में क्लेम?
पॉलिसीधारक या लाभार्थी एलआईसी की वेबसाइट (https://licindia.in/home) पर जाकर अपनी अनक्लेम्ड राशि की जांच कर सकते हैं. इसके लिए नीचे दिए गए स्टेप्स का पालन करें:
- कस्टमर सर्विस सेक्शन पर जाएं और Unclaimed Amounts of Policy Holders का चयन करें.
- मांगी गई जानकारी जैसे पॉलिसी नंबर, नाम, जन्मतिथि और पैन कार्ड डिटेल्स दर्ज करें.
- सबमिट पर क्लिक करें, जिसके बाद आपकी पॉलिसी से संबंधित डिटेल्स स्क्रीन पर दिखेंगी.
- एलआईसी ने दावा प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें मीडिया कैंपेन और एजेंट्स के जरिए नियमित फॉलो-अप शामिल हैं.
10 साल तक क्लेम नहीं करने पर क्या होता है?
अगर 10 साल तक राशि का दावा नहीं किया जाता है, तो यह राशि वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष में ट्रांसफर कर दी जाती है. इस कोष का उपयोग वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए किया जाता है. बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने यह अनिवार्य किया है कि सभी बीमा कंपनियां ₹1,000 या उससे अधिक की अनक्लेम्ड राशि अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करें.
नोएडा अथॉरिटी में बिना पैसों के नहीं हो रहा है काम? यहां कर सकते हैं शिकायत
अगर अथॉरिटी ऑफिशियल्स आपका काम नहीं कर रहे हैं तो ऐसे केस में आप नोएडा अथॉरिटी के उस संबंधित अधिकारी की शिकायत कर सकते हैं. इसके बाद न सिर्फ उस अधिकारी पर कार्रवाई होगी. बल्कि आपका काम भी बिना रिश्वत के हो जाएगा.
अगर आपका भी कोई काम नोएडा अथॉरिटी में अटका हुआ है और आप महीनों से प्राधिकरण के चक्कर काट रहे हैं तो ये खबर आपके काम की साबित हो सकती है. दरअसल, अकसर ऐसी जगहों पर काम को करवाने के लिए पैसों की मांग की जाती है, जो गलत है. आपको काम करवाने के लिए किसी को पैसे देने की कोई जरुरत नहीं है. क्योंकि रिश्वत देना और लेना दोनों ही जुर्म हैं.
कहां करें शिकायत?
नोएडा अथॉरिटी में कोई अधिकारी या कोई क्लर्क या कोई भी शख्स आपसे काम कराने के पैसे मांग रहा है तो आप अथॉरिटी में ही उसकी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. इसके लिए आप नोएडा अथॉरिटी के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर सकते हैं और अपनी शिकायत बता सकते हैं. इसके अलावा आप नोएडा अथॉरिटी की ऑफिशियल मेल आईडी पर भी अपनी बात लिख कर उस शख्स की शिकायत कर सकते हैं.
यहां भी कर सकते हैं शिकायत
इसके अलावा आप उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी करप्शन यूनिट में भी नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी, क्लर्क या किसी की भी रिश्वत मांगने के आरोप में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. आप चाहे तो ऑनलाइन भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. इसके लिए आपको उत्तर प्रदेश सरकार के एंटी करप्शन पोर्टल के पर जाना होगा और शिकायत करनी होगी. इसके लिए आपको यहां रजिस्ट्रेशन करना होगा. उसके बाद आप अपनी ऑनलाइन कंप्लेंट कर सकेंगे. इसके बाद आपको एक रेफरेंस नंबर मिलेगा जिसके जरिए आप अपनी शिकायत का स्टेटस भी चेक कर सकते हैं.
पेटीएम के लिए क्यों चुनौती बन सकता है Mobikwik, पैसा लगाने से पहले समझ लें कारण
18 दिसंबर 2024 को वन मोबिक्विक सिस्टम्स का IPO बाजार में लिस्ट हुआ, जिसमें प्रति शेयर प्राइस बैंड ₹265-279 निर्धारित किया गया था. इसके शेयर 440 रुपए पर लिस्ट हुए, जो आईपीओ के इश्यू प्राइस के मुकाबले करीब 57.71 फीसदी अधिक है. चलिए समझते हैं कि पहले से बाजार में कारोबार कर रही पेटीएम और इसके शेयर में यूजर्स किसे चुनना पसंद कर सकते हैं.
भारतीय फिनटेक इंडस्ट्री में आज भी फोनपे, गुगल पे और पेटीएम का जलवा है. जुलाई 2024 में वॉल्यूम के हिसाब से फोनपे का मार्केट शेयर 48.3% और ट्रांजैक्शन वैल्यू के हिसाब से 49.8% था. गूगल पे वॉल्यूम के हिसाब से 37.3% और वैल्यू के हिसाब से 36% की बाजार हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर बना हुआ है, जबकि वॉल्यूम के हिसाब से पेटीएम की बाजार हिस्सेदारी अगस्त में एक महीने पहले 7.8% से घटकर 7.2% रह गई. वैल्यू के हिसाब से, जुलाई में पेटीएम की बाजार हिस्सेदारी 5.9% से घटकर 5.5% रह गई.
अब यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि बाजार हिस्सेदारी के मामले में अभी हाल ही में लिस्ट हुई एक दूसरी यूपीआई कंपनी मोबिक्विक का टॉप-5 में भी नाम नहीं है. ऐसे में सवाल ये खड़ा हो रहा है कि इतना अधिक मार्केट शेयर लेने के बाद पेटीएम के शेयर में अभी भी लिस्टिंग के बाद से 35% का नुकसान है. तो क्या ऐसे में मोबिक्विक का शेयर बाजार में टिक पाएगा. चलिए एक नजर दोनों कंपनी के फाइनेंस और बिजनेस पर डालते हैं.
मोबिक्विक का IPO हुआ हिट
गुरुग्राम स्थित वन मोबिक्विक सिस्टम्स ने 18 दिसंबर 2024 में अपना IPO लॉन्च किया गया, जिसमें प्रति शेयर प्राइस बैंड ₹265-279 निर्धारित किया गया था. इसके शेयर 440 रुपए पर लिस्ट हुए. यह आईपीओ के इश्यू प्राइस के मुकाबले करीब 57.71 फीसदी अधिक है. यह IPO पूरी तरह से नए शेयरों का था, जिसका उद्देश्य फाइनेंस, पेमेंट सर्विस में वृद्धि, टेक्नोलॉजी को आसान बनाने और पेमेंट डिवाइस को और बेहतर करने के लिए धन जुटाना था. मोबिक्विक ने वित्त वर्ष 2023-24 में अपना पहला पूर्ण-वर्ष का प्रॉफिट दर्ज किया, जो कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. पेटीएम ऐसा अब तक नहीं कर पाई है.
कैसा रहा था पेटीएम का IPO
पेटीएम, जिसे वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड संचालित करती है, भारत का टॉप डिजिटल इकोसिस्टम है, जो उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों को पेमेंट सर्विसेज, कॉमर्स और क्लाउड सर्विस के साथ फाइनेंस सर्विस भी प्रदान करता है. पेटीएम ने 2021 में अपना IPO लॉन्च किया था और वर्तमान में इसका मूल्यांकन $7.60 बिलियन है. तब इसके आईपीओ प्राइस 2150 रुपए प्रति शेयर था, लेकिन लिस्टिंग पर ही इसने निवेशकों को भारी नुकसान कर दिया था. पेटीएम का आईपीओ 1955 रुपए पर लिस्ट हुआ था. हाल ही में, पेटीएम के शेयरों में शानदार वृद्धि देखी गई है, जो इसके मजबूत बिजनेस मॉडल और निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है.
फिनटेक सेक्टर का फ्यूचर
भारत का फिनटेक सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसमें सरकार की डिजिटल अर्थव्यवस्था की पहल और युवाओं का टेक्नोलॉजी के प्रति बढ़ता प्रेम का महत्वपूर्ण योगदान है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के नॉन-एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट के अनुसार, 2024 में फिनटेक सेक्टर का वैल्यूएशन 110 बिलियन डॉलर था, और यह 2029 तक $420 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है, जो 31% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है.
मोबिक्विक और पेटीएम कौन बेस्ट?
मोबिक्विक और पेटीएम दोनों ही उपभोक्ताओं और व्यापारियों के लिए पेमेंट और फाइनेंशियल सर्विसेज प्रदान करते हैं. हालांकि, पेटीएम का बाजार में बड़ा हिस्सा है और यह अधिक डायवर्सिफाई सर्विसेज प्रदान करता है, जबकि मोबिक्विक ने हाल ही में प्रॉफिटिबिलिटी हासिल की है, जो निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकता है. दोनों कंपनियाँ अपने-अपने क्षेत्रों में इनोवेशन और विस्तार के माध्यम से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएँ मिल रही हैं.
कैसे बनेगा पेटीएम के लिए चुनौती?
यहां अगर आप दोनों शेयर को एक छोटे निवेशक की नजर से देखते हैं तो मोबिक्विक का जो प्राइस रेंज है वह काफी कम है. कंपनी प्रॉफिट में भी रह चुकी है. कुछ दिन पहले एक प्रेस कांफ्रेंस में मोबिक्विक के सीईओ बिपिन प्रीत सिंह ने कहा था कि कंपनी को हमने पहले भी प्रॉफिट ईयर बनाया है. आगे भी हम ये करने जा रहे हैं. हमारी सर्विसेज ग्राहकों के लिए बेस्ट है तो हम इस टार्गेट को जल्द हासिल कर लेंगे. एक बात यहां और ध्यान देने वाली है कि पेटीएम की वॉलेट सर्विस बंद हो चुकी है, जबकि मोबिक्विक अभी ये सर्विस दे रहा है. जिसे वह जिप नाम से चला रहा है. यह एक तरह का इंस्टैंट लोन सर्विस है. इसके यूजर्स तेजी से बढ़ रहे हैं, जो पेटीएम के लिए चुनौती बन सकती है. क्योंकि अब पेटीएम ऐसी कोई सुविधा नही प्रोवाइड कर रहा है, जब से RBI ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर बैन लगाया था.
ये हैं विधि सांघवी चलाती हैं 4.35 लाख करोड़ की कंपनी, मुकेश अंबानी से है ये कनेक्शन
वर्तमान में विधि कंपनी में उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं. उनके नेतृत्व और रणनीतिक निर्णयों ने कंपनी के संचालन और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आज, सन फार्मा 100 से अधिक देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है.
विधि सांघवी, भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज के संस्थापक दिलीप सांघवी की बेटी हैं, वो एक उभरती हुई व्यवसायी और सोशल एक्टिविस्ट के रूप में देश में पहचानी जाती हैं. उनके नेतृत्व और व्यावसायिक दृष्टिकोण ने उन्हें हेल्थकेयर बिजनेस में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बना दिया है.
विधि सांघवी की एजुकेशन
विधि ने अपनी शिक्षा प्रतिष्ठित पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से पूरी की, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक किया. इस शिक्षा ने उन्हें उद्योग की जटिलताओं को समझने और कंपनी के लिए रणनीतिक निर्णय लेने में मदद की. उन्होंने सन फार्मा में अपनी यात्रा मार्केटिंग डिपार्टमेंट से शुरू की और धीरे-धीरे महत्वपूर्ण पदों तक पहुंचीं.
सन फार्मा में योगदान
वर्तमान में विधि कंपनी में उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं. उनके नेतृत्व और रणनीतिक निर्णयों ने कंपनी के संचालन और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आज, सन फार्मा 100 से अधिक देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है और इसकी 43 विनिर्माण इकाइयां उच्च गुणवत्ता और सस्ती दवाइयां प्रदान करती हैं. कंपनी का वार्षिक वैश्विक राजस्व लगभग $5.4 बिलियन (₹44,820 करोड़) है.
सामाजिक प्रयास “मान टॉक्स”
विधि केवल एक सफल व्यवसायी नहीं हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों को लेकर भी सक्रिय हैं. वह मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बेहद जागरूक हैं और इस दिशा में बदलाव लाने के लिए उन्होंने “मान टॉक्स” नामक एक गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की. यह पहल मुफ़्त और समग्र मानसिक स्वास्थ्य समाधान प्रदान करती है. उनका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा को सामान्य बनाना और लोगों को इसके लिए सशक्त करना है.
मुकेश अंबानी से है ये रिश्ता
विधि की शादी गोवा के उद्योगपति परिवार से जुड़े विवेक सालगांवकर से हुई है. उनके पति का परिवार भारत के कुछ प्रतिष्ठित व्यापारिक परिवारों, जैसे अंबानी परिवार, से भी जुड़ा है. यह गठजोड़ भारत के दो प्रमुख उद्योगपतियों के परिवारों को एक साथ लाता है.
विधि सांघवी के फादर इन लॉ के भाई दत्ताराज सालगांवकर की शादी मुकेश और अनिल अंबानी की बहन दीप्ति सालगांवकर के साथ हुई है. ऐसे में विधि सांघवी मुकेश अंबानी की रिश्तेदार हैं.
Vishal Mega Mart Share: विशाल मेगा मार्ट का धुंआधार डेब्यू, 41 फीसदी के प्रीमियम पर हुई लिस्टिंग
विशाल मेगा मार्ट के शेयरों ने 78 रुपए के इश्यू प्राइस के मुकाबले बीएसई पर 110 रुपए और एनएसई पर 104 रुपए पर ओपनिंग की. इससे निवेशकों को क्रमशः 41.03% और 33.33% का मुनाफा हुआ.
Vishal Mega Mart Share: विशाल मेगा मार्ट ने अपने आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव) के साथ भारतीय शेयर बाजार में जोरदार एंट्री की है. 78 रुपए के इश्यू प्राइस पर लॉन्च हुए इस आईपीओ ने लिस्टिंग के दिन बीएसई और एनएसई पर शानदार प्रदर्शन किया. बीएसई पर शेयर 41.03% प्रीमियम के साथ 110 रुपए पर खुले, जबकि एनएसई पर यह 33.33% की बढ़त के साथ 104 रुपए पर लिस्ट हुआ. इस जोरदार प्रदर्शन ने निवेशकों के चेहरे पर खुशी ला दी.
आईपीओ की प्रमुख बातें
विशाल मेगा मार्ट के शेयरों ने 78 रुपए के इश्यू प्राइस के मुकाबले बीएसई पर 110 रुपए और एनएसई पर 104 रुपए पर ओपनिंग की. इससे निवेशकों को क्रमशः 41.03% और 33.33% का मुनाफा हुआ.
मार्केट कैप
लिस्टिंग के साथ ही कंपनी का मार्केट कैप 46,891 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो इसकी मजबूत बाजार उपस्थिति को दर्शाता है.
आईपीओ का सब्सक्रिप्शन
बीएसई डेटा के अनुसार, यह इश्यू 27 गुना सब्सक्राइब हुआ. क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) और नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने इसमें बड़े स्तर पर भाग लिया.
एंकर निवेशकों का योगदान
विशाल मेगा मार्ट ने 2,400 करोड़ रुपए एंकर निवेशकों से जुटाए. इनमें एसबीआई म्यूचुअल फंड, सिंगापुर सरकार, एक्सिस म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी एमएफ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं.
कंपनी की स्थिति और विस्तार
विशाल मेगा मार्ट भारत के 28 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 414 शहरों में 645 स्टोर्स के साथ काम करती है. कंपनी का कंज्यूमर बेस काफी मजबूत है और यह विभिन्न कैटेगरी में किफायती दामों पर प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराती है.
निवेशकों के लिए आकर्षण
कंपनी की मजबूत ब्रांड छवि, विस्तृत नेटवर्क और किफायती प्रोडक्ट्स इसे रिटेल क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाते हैं. आईपीओ के जरिए जुटाई गई राशि को कंपनी अपने प्रमोटरों के लिए उपयोग कर रही है, क्योंकि यह पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) था.विशाल मेगा मार्ट की सफल लिस्टिंग ने भारतीय रिटेल सेक्टर में निवेशकों के विश्वास को बढ़ाया है. कंपनी का लक्ष्य अपनी पहुंच को और अधिक विस्तार देना और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना है.