हंसिका को लग रहा था कि उसकी सास उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं कर रही है। उसके ऊपर हंसिका जिसे सिंपल और सोबर रहना पसंद था उसकी सास उसे कैटरीना कैफ बनाने पर तुली हुई थी। सत्यनारायण की कथा के वक्त भी हंसिका से ज्यादा मालती जी को सब पूछ रहे थे। अब नई बहू का कुछ तो ध्यान रखा जाए, हंसिका कोने में दुबकी हुई बैठी रही और गाहे-बगाहे कोई आकर उससे हाल पूछ जाता नहीं तो सभी मालती जी को, ‘वाह क्या लग रही हैं, वाह क्या बात है…’ बोलकर हंसते हुए निकल जाता। मालती जी भी अजीब थीं, बात-बात में कोई ना कोई फिल्मी डायलॉग मार देती थीं।
हंसिका की पहली रसोई में उसे हलवा बनाने पर 101 रुपये के साथ ‘मोगैम्बो खुश हुआ… हाहाहा’ मिला था मालती जी से। अब ये क्या होता जा रहा है। हंसिका को लग रहा था कि एक हफ्ता इतना भारी है, तो सारी जिंदगी ऐसे कैसे कटेगी। वरुण ने भी शादी के हफ्ते भर बाद ही ऑफिस ज्वाइन कर लिया और हंसिका की सास ‘बिन सावन झूला झूलूं… मैं वादा कैसे भूलूं’ जैसे गाने लगाती रहती थी। उससे बर्दाश्त ही नहीं होता था। अब तो ऐसा लगने लगा था उसे कि सास उसे ही टार्गेट कर रही है।
हंसिका से रहा नहीं गया, एक दिन पूछ ही लिया मालती जी से, ‘मम्मी जी… इतना फिल्मी होना जरूरी है क्या?’ मालती जी ने गहरी सांस ली और कहा… ‘बड़े-बड़े देशों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं सैनोरीटा… मेरी लाइफ के बस तीन ही उसूल हैं… एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट…’ अब इसका जवाब आपको भी समझ नहीं आएगा, तो हंसिका को क्या आता। उसने चुप चाप हंसकर बात टाल दी।
पर मन में जरूर लग रहा था कि ऐसा क्या करे जिससे अपनी सास का ध्यान अपनी तरफ खींचे, आए दिन फिल्मी ताने सुनना उसके लिए अच्छा नहीं था। ऐसा थोड़ी है कि उसे हर वक्त यही चाहिए होता था। भला घर नॉर्मल भी रह सकता है। वरुण के आते ही हंसिका उसपर बरस पड़ी, ‘तुम दिन भर चले जाते हो और मैं यहां फंसी रह जाती हूं।
मैं क्या करूं बताओ मुझे। मैंने तुमसे शादी की है और तुम हो कि मिस्टर इंडिया बने रहते हो। मैं दिन भर फिल्मी बातें नहीं सुन पाती।’ हंसिका ने कहा। उसकी बातें सुनकर वरुण हंस पड़ा और बोला, ‘तुमसे फिल्मी बातें नहीं सही जातीं, लेकिन तुम तो खुद फिल्मी बातें कर रही हो। मैं अब मिस्टर इंडिया हो गया।’ वह मुंह हाथ धोने चला गया और अचानक हंसिका को लगा कि वरुण सही कह रहा था।
मालती जी के साथ डील करने का इससे अच्छा तरीका तो हो ही नहीं सकता। फिल्मी सास के साथ फिल्मी बहू हो जाए, तो क्या बात है। अगले ही दिन हंसिका ने मालती जी से कहा, ‘मम्मी जी, आज नाश्ते में क्या बनाऊं?’, मालती जी ने कहा, ‘जैसा मन करे, बना लो… पर तीखा थोड़ा ज्यादा डालना, एक चुटकी लाल मिर्च की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू…’ हंसिका ने तपाक से जवाब दिया.. ‘डोंट अंडरएस्टिमेट द पावर ऑफ ए कॉमन बहू..’ मालती जी को हंसिका का ये जवाब कुछ अलग लगा। फिर भी उन्होंने नजरअंदाज करके इसे जाने दिया।
अब हंसिका को पता था कि सास का अटेंशन कैसे लेना है। भला नई बहू है, तो उसे भी तो महत्व मिलना चाहिए ना। तभी किसी काम के लिए मालती जी ने हंसिका से क्रॉस चेक किया… ‘हंसिका, ये काम पक्का तुम कर लोगी ना? या मैं चलूं साथ?’, इसपर हंसिका ने जवाब दिया, ‘एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी, तो मैं अपने आप की भी नहीं सुनती…’ मालती जी को थोड़ा सा धक्का लगा। उन्हें लगा कि ये क्या हो रहा है? हंसिका ऐसे क्यों बोल रही है।
पर मालती जी ने नजरअंदाज करना जारी रखा और धीरे-धीरे दिन भी बीतने लगे। अब घर टीवी सीरियल फिल्मी चक्कर का सेट लगने लगा था। वरुण को भी थोड़ी सी उलझन होने लगी थी। पहले तो एक ही थी, अब दोनों ने बातों की जगह फिल्मी गानों का सहारा लेना शुरू कर दिया था।
फिर एक दिन वो आया कि हंसिका और मालती जी की ठन गई। आज किचन में दाल जल गई थी, किसकी गलती, किसे बोला जाए। बस हंसिका और मालती जी एक दूसरे के खिलाफ तैयार थे। वरुण को लगा कि संडे का दिन बस शामत लेकर आया है।
हंसिका और मालती जी की लड़ाई ये रूप ले लेगी, ऐसा तो वरुण ने भी नहीं सोचा था। मोहल्ले की दो चार आंटियों ने भी उनके मजे ले लिए… ऐसा क्या हुआ था हंसिका और मालती के बीच?
पढ़िए अगले भाग में ‘मेरी फिल्मी सास…’