Tata Sons IPO: जाने इतिहास के सबसे बड़े आईपीओ के बारे में सब कुछ

Tata Sons IPO: टाटा ग्रुप एक बार फिर से आईपीओ लाने की तैयारी कर रहा है। यह सिर्फ टाटा के लिए नहीं बल्कि भारतीय स्टॉक मार्केट के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है। इस आर्टिकल में हम Tata Sons IPO के बारे में जानेंगे।

Tata Sons IPO

टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के आईपीओ की चर्चा जोरो सोरो से चल रही है। टाटा ग्रुप एक बार फिर से आईपीओ लाने की तैयारी कर रहा है। टाटा के इस मार्केट में फिर से आने की खबर से समूह के कई कंपनियों के शेयर रॉकेट की तरह भाग रहे हैं।

Tata Sons IPO Date

इस आईपीओ की उम्मीद में पिछले सप्ताह टाटा ग्रुप के कई कंपनियों के स्टॉक 36% तक बढ़ गए। लेकिन रिपोर्ट से पता चला है कि टाटा संस के आईपीओ में अभी वक्त लगेगा।

Tata Sons IPO
Tata Sons IPO

कंपनी की लिस्टिंग जल्द होने की संभावना नहीं लग रही है क्योंकि यह अपर लेयर NBFC के तौर पर लिस्ट होने से बचने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुरूप बनने के लिए कई तरीकों पर विचार कर रही है। वहीं अगर Tata Sons IPO date की बात की जाए तो डाटा संस आईपीओ के लिस्ट होने में 3 साल का समय दिया है। टाटा संस के लिए इसकी डेडलाइन सितंबर 2025 तक है।

Tata Sons IPO Size

टाटा संस आईपीओ स्टॉक मार्केट के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है। अगर टाटा ग्रुप Tata Sons IPO लॉन्च करती है तो फिर इसका इशू साइज कितना हो सकता है।

आपको बता दे की टाटा संस की अनुमानित वैल्यू लगभग 11 लाख करोड़ रुपए आंकी गई है। इस हिसाब से कंपनी के आईपीओ का साइज 50,000 करोड़ रुपए के आसपास हो सकता है। टाटा की इस कंपनी में Tata Motors, Tata Chemicals, Tata Power और India Hotels की शेयरहोल्डिंग्स है।

Tata Sons IPO Details

टाटा संस आरबीआई के साथ क्रेडिट इनफॉरमेशन कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड है। आरबीआई ने कंपनी को सितंबर 2022 में अपर लेयर के रूप में क्लासिफाई किया था। एक अपर लेयर NBFC को, रेगुलेटरी स्ट्रक्चर का पालन करना होता है।

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एक रिपोर्ट के अनुसार, अपर लेयर NBFC की अनिवार्य लिस्टिंग से छूट देने के लिए टाटा संस ने अनुरोध किया था, लेकिन आरबीआई ने किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया। अपर लेयर NBFC को महत्वपूर्ण माना जाता है। आरबीआई की ना के बाद अब टाटा संस लिस्ट होने से बचने के लिए आरबीआई के नियमों के अनुरूप बनने के लिए कई तरीकों पर विचार कर रही है।

क्या है RBI के नियम?

RBI के नियमों के अनुसार, अगर किसी ‘कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी’ के पास 100 करोड़ रुपए से कम की संपत्ति है और वह पब्लिक फंड नहीं जुटाती है तो वह CIC या अपर लेयर NBFC के रूप में क्लासीफाइड होने से बच सकती है। इसके साथ ही उस कंपनी के शेयर को बाजार में लिस्ट होने की भी जरूरत नहीं है।

किसकी कितनी हिस्सेदारी

Tata Sons में दोराबजी टाटा ट्रस्ट की 28 प्रतिशत और टाटा ट्रस्ट की 24% हिस्सेदारी है। टाटा मोटर्स और टाटा केमिकल्स कि इसमें लगभग तीन प्रतिशत हिस्सेदारी है। जबकि टाटा पावर की 2% और इंडियन होटेल्स की एक प्रतिशत हिस्सेदारी है।

इसी बीच टाटा ग्रुप की एक और होल्डिंग कंपनी टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के शेयरों में काफी तेजी देखने को मिली। इस साल के पहले दो महीनों में इसमें 100% की तेजी आई। जबकि पिछले 1 साल में यह 335% बढ़ चुका है। ट्रेंड और टाटा मोटर्स जैसे शेयरों में लगभग 100% की तेजी देखने को मिली टाटा ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों का कंबाइंड मार्केटकैप 30 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। जो पाकिस्तान की पूरी इकोनामी से अधिक है।

Disclaimer

ETC Daily News पर दी गई जानकारी कोई भी निवेश सलाह नहीं है। शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।

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