RBI Update: हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां पांच साल से ज्यादा अवधि के डिपॉजिट्स नहीं जुटा सकेंगी. मौजूदा समय में 10 साल तक के लिए डिपॉजिट्स जुटाने की इजाजत है.
RBI On HFC: आम लोगों से डिपॉजिट (Deposits) लेने वाली हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (Housing Finance Companies) पर बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नकेल कसने की तैयारी में है. पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस जैसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां जो डिपॉजिट लेती हैं उन्हें एनबीएफसी (NBFC) के समान ही रेग्यूलेट किया जाएगा.
आरबीआई ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए रिव्यू ऑफ रेग्यूलेटरी फ्रेमवर्क को लेकर ड्रॉफ्ट सर्कुलर जारी किया है साथ ही फिलहाल जो एनबीएफसी के लिए रेग्यूलेशन लागू होता है वो हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों पर भी लागू होगा. आरबीआई ने एनबीएफसी के साथ ही हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और स्टेकहोल्डर्स से 29 फरवरी 2024 तक अपने अपने सुझाव देने को कहा है.
आरबीआई ने कहा, डिपॉजिट स्वीकार करने को लेकर वो रेग्यूलेटरी चिंताएं हैं वो सभी कैटगरी के एनबीएफसी पर लागू होता है. ऐसे में ये तय किया गया है कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों पर भी वहीं रेग्यूलेटरी नियम लागू होंगे जो डिपॉजिट स्वीकार करने वाली एनबीएफसी पर लागू है.
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आरबीआई ने अपने डॉफ्ट रेग्यूलेटरी फ्रेमवर्क में कहा है कि बगैर इंवेस्टमेंट ग्रेड क्रेडिट रेटिंग वाली हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को पब्लिक डिपॉजिट लेने या मौजूदा डिपॉजिट्स को रिन्यू करने की इजाजत नहीं होगी. आरबीआई ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए पब्लिक डिपॉजिट रखने की लिमिट को अपने कुल फंड का 3 गुना की जगह डेढ़ गुना फंड रखने का प्रस्ताव दिया है. आरबीआई ने कहा कि ड्रॉफ्ट पेपर लागू होने के बाद भी ये नियम 15 जनवरी 2024 से सर्कुलर जारी होने के बाद लागू हो जाएगी. देश में ऐसे नौ हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां हैं जिन्हें पब्लिक डिपॉजिट लेने की इजाजत है.
हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां पांच साल से ज्यादा अवधि के डिपॉजिट्स नहीं जुटा सकेंगी. मौजूदा समय में 10 साल तक डिपॉजिट्स जुटाने की इजाजत है. मौजूदा समय में में वैसी डिपॉजिट्स जिनकी मैच्योरिटी 60 महीने के ऊपर है उन्हें मौजूदा रीपेमेंट अवधि के तहत ही भुगतान किया जाएगा.